श्रीमद् भगवद् गीता आदि शास्त्रों के अनुसार हरेक जीव का भगवान से नित्य सम्बन्ध है। और हरेक जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है। चाहे वो कर्म, ज्ञान, योग, भक्ति किसी भी मार्ग का हो।
वैसे भी इन सारे मार्गों के पथिक यदि श्रौत्रीय - ब्रह्मनिष्ट गुरु की देख-रेख में चलें तो निश्चित रूप से हरेक को भगवान की प्राप्ति होती है। क्योंकि यह सारे मार्ग सोपान (सीढ़ी) की तरह भगवद् प्राप्ति रूपी मंजिल की ओर ले जाते हैं।
वैसे भक्ति मार्ग में चलने पर जीव को बहुत जल्दी भगवान की प्राप्ति होती है। जहाँ तक ज्ञान मार्ग की बात है, उसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण गीता जी में कहते हैं --
'मेरा ज्ञानी भक्त बहुत जन्मों के बाद मेरे शरणागत हो पाता है,'
और आप जानते ही हैं कि शरणागत व्यक्ति को ही भगवान की प्राप्ति होती है।
'बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते……(श्रीगीता 7/19)'
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