सोमवार, 19 मई 2014

श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने आपको अपना राधा-कृष्ण मिश्रित रूप दिखाया था।

श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी ने श्रीराय रामानन्द जी का विशाखा (श्रीमती राधारानी की सखी) के रूप में दर्शन किया था। 

आप भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु की लीला में श्रीराय रामानन्द के रूप में आये।

आपके पिता जी का नाम श्रीराय भवानन्द था।

श्रीचैतन्य महाप्रभु जी, राय रामानन्द जी को महाभागवत् रूप में देखते थे, इसलिये उन्होंने राय रामानन्द जी के आगे अपने को छुपाने की चेष्टा की तो राय रामानन्द जी ने महाप्रभु जी के आविर्भाव के मुख्य कारण की बात स्पष्ट रूप से कह दी। 

श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने तब प्रसन्न हो कर आपको रसराज कृष्ण और महाभावरूपिणी श्रीमती राधिका, दोनों से मिश्रित अपना स्वरूप दिखाया था।

श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने श्रीस्वरूप दामोदर जी और श्रीराय रामानन्द जी के माध्यम से बताय कि कलियुग में श्रीकृष्ण प्रेम प्राप्ति का श्रेष्ठ उपाय है - श्रीनाम संकीर्तन ।

श्रीराय रामानन्द जी श्रीराघवेन्द्र पुरी जी के शिष्य थे, और श्री राघवेन्द्र पुरी जी, श्रीमाधवेन्द्र पुरी के शिष्य थे।

श्रीराय रामानन्द जी की जय !!!!

आपके तिरोभाव तिथि पूजा महा-महोत्सव की जय !!!!!

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