किसी किसी का कहना है, विशेषतः उड़ीसा के श्रीपुरुषोत्तम धाम के बहुत से भक्त ऐसा सोचते हैं व कहते हैं कि एकादशी तिथि को श्रीजगन्नाथ जी का प्रसाद या वहाँ का अन्न-महाप्रसाद ग्रहण करने में या खाने में कोई दोष नहीं है। यहाँ पर विचारणीय बात यह है कि वैष्णव तो प्रतिदिन ही महाप्रसाद ग्रहण करते हैं, इसके अलावा तो कुछ भी नहीं लेते।
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अतः एकादशी व्रत की मर्यादा की रक्षा करने के लिए, वैष्णव लोग एकादशी के दिन महाप्रसाद को सम्मान के साथ शिरोधार्य करके व उसे प्रणाम करके रख लेते हैं तथा अगले दिन ग्रहण करते हैं।
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