इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण हमें 'अभ्यास योग' एवं 'वैराग्य' के प्रयास को बार बार करने का प्रामर्श देते हैं।
'अभ्यास' का अर्थ है बार बार प्रयास करना।
'वैराग्य' के दो पहलु हैं -- जागतिक नाशवान चीज़ों के लिए आसक्ति नहीं होना व भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आसक्ति होना।

हमें किसी भी परिस्थिति में हताश नहीं होना चाहिए व किसी भी परिस्थिति में भजन करना बन्द नहीं करना चाहिए। हम जितनी मात्रा में आध्यात्मिक विचारों को, जोकि भारी और प्रभावशाली होते हैं, अपने हृदय में स्थान देंगे, उतनी ही मात्रा में सांसारिक विचार, जो कि हल्के होते हैं, बाहर निकल जाएँगे।
हम इन्द्रियों की इच्छा-पूर्ति करने में कुछ पल के लिए सुख प्राप्त करते हैं। इन्द्रियों से प्राप्त होने वाले सुख का वह भ्रम हमें बलपूर्वक पापकर्मों की ओर खींचता है, जिसका अन्तिम परिणाम पीड़ा है।
जब हम इन्द्रिय-तृप्ति के हानिकारक परिणाम को वास्तव में अनुभव कर लेंगे तो हम ऐसा करने से अपने आपको रोकेंगे।
यदि हम आग में घी डालेंगे तो आग अधिक भड़केगी। इसी प्रकार यदि हम कामनाओं - वासनाओं को पूरा करते रहेंगे तो कामाग्नि और अधिक भड़केगी, यह बुझेगी नहीं। कामनाओं को पूरा करते रहना, कामना-वासना से छुटकारा पाने का सही तरीका नहीं है ।

हाँ, यदि हम एक साथ काफी अधिक मात्रा में घी आग में डाल दें, तो आग बुझ जाएगी। इसी प्रकार यदि हमारे मन में पूर्ण-वस्तु श्रीकृष्ण के लिए प्रबल उत्कण्ठा होगी तो वह प्रबल उत्कण्ठा ही जागतिक कामनाओं व इन्द्रिय-तृप्ति की वासनाओं की आग को बुझा देगी।
-- श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज ।
'अभ्यास' का अर्थ है बार बार प्रयास करना।
'वैराग्य' के दो पहलु हैं -- जागतिक नाशवान चीज़ों के लिए आसक्ति नहीं होना व भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आसक्ति होना।

हमें किसी भी परिस्थिति में हताश नहीं होना चाहिए व किसी भी परिस्थिति में भजन करना बन्द नहीं करना चाहिए। हम जितनी मात्रा में आध्यात्मिक विचारों को, जोकि भारी और प्रभावशाली होते हैं, अपने हृदय में स्थान देंगे, उतनी ही मात्रा में सांसारिक विचार, जो कि हल्के होते हैं, बाहर निकल जाएँगे।

जब हम इन्द्रिय-तृप्ति के हानिकारक परिणाम को वास्तव में अनुभव कर लेंगे तो हम ऐसा करने से अपने आपको रोकेंगे।
यदि हम आग में घी डालेंगे तो आग अधिक भड़केगी। इसी प्रकार यदि हम कामनाओं - वासनाओं को पूरा करते रहेंगे तो कामाग्नि और अधिक भड़केगी, यह बुझेगी नहीं। कामनाओं को पूरा करते रहना, कामना-वासना से छुटकारा पाने का सही तरीका नहीं है ।

-- श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज ।
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