1) पश्चिम बंगाल के एक शहर मेदिनीपुर में एक भूतिया बंगला था। वहाँ
पर कोई आता-जाता नहीं था। हरि-इच्छा से वह बंगला गौड़ीय मठ को मिल गया।
कुछ समय के उपरान्त जब भक्त लोग वहाँ सफाई, इत्यादि करने के लिए पहुँचे तो दिन ढल चुका था। सभी ने वहीं रात रहने का फैसला कर लिया।
जब रात को सब सो रहे थे तो अचानक बंगले के एक कमरे से बहुत ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी। सभी भक्त वहाँ इकट्ठे हो गये। भक्तों ने सोचा की कीर्तन करना होगा।
रात्रि में मृदंग-करताल सहित कीर्तन होने लगा। यह क्रम कुछ दिनों तक चला। कुछ दिनों के बाद कमरे में आवाज़ शान्त हो गयी । परन्तु कोने वाले कमरे में होने लगी। श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी जोकि उस समय ब्रह्मचारी थे , ने बताया की कमरे में जब मैं सोता था तो अचानक सब दरवाज़े-खिड़की खुल जाते थे। फिर हमने वहाँ पर भी कीर्तन करना शुरु कर दिया।
कुछ दिनों के बाद अनुभव किया गया कि बंगले में तो सब शान्त हो गया किन्तु बाहर आँगन में पेड़ ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगता जबकी हवा बिल्कुल भी चल नहीं रही होती थी। तथा रात को स्पष्ट दिखाई देता था कि जैसे कोई स्त्री सफेद कपड़े पहन कर कुएँ से पानी निकाल रही है। दूर से पानी में बाल्टी गिरने की व रस्सी के खिंचने की आवाज़ भी आती थी। परन्तु नज़दीक जाने से कोई दिखता नहीं था, और आवाज़ भी बन्द हो जाती थी।

वैष्णवों के इधर-उधर टहलने व श्रीहरिनाम करने के प्रभाव से धीरे धीरे ये सब भी बन्द हो गया।
आज भी वहाँ पर मठ है और ये सब बातें इतिहास की तरह याद की जाती हैं।
2) एक बार श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी के एक शिष्य जो अमृतसर में रहते थे, आपके पास आये। उन्होंने बताया कि महाराज जी, कुछ दिन पहले हमारे पिताजी का देहान्त हो गया । सभी क्रिया-कर्म व पिण्ड दान आदि करने पर भी कभी-कभी देर रात्री में देखा जाता है कि पिताजी घर में घूम रहे हैं।
जिसने हमको जैसा बोला, वैसे हमने उपाय किए परन्तु कोई परिवर्तन नहीं है। इन सब घटनाओं से मेरी पत्नी बहुत घबराई हुई है। हम सब रात भर घर की सभी लाइटें जगा कर रखते हैं व जागते रहते हैं। कृपया हमें बतायें कि हम क्या करें?
श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी ने कहा -- ' ज्यादा चिन्ता करने की बात नहीं है। हरिनाम करने से सभी तरह का अशुभ दूर हो जाता है। घर में श्रीमती तुलसी जी के गमले को थोड़ा सा ऊँचा आसन देकर रखो और एक महीने के लिए आप और आपकी पत्नी तुलसी जी के पास बैठकर रोज़ाना 1 लाख हरे कृष्ण महामन्त्र करो। सब ठीक हो जायेगा।'
उन्होंने ऐसा ही किया और महीना तो बहुत लम्बी बात है, कुछ ही दिनों के बाद उनके पिताजी दिखने बन्द हो गये।
3) ऐसा कहते हैं कि मरणासन व्यक्ति के मस्तक पर तुलसी जी की रज,
अथवा पत्ता अथवा लकड़ी रख देने से उसके जन्म-मरण का चक्कर खत्म हो जाता है। यही नहीं तुलसी जी की इतनी महिमा है कि यदि कोई व्यक्ति तुलसी जी के चरणों की रज़ अर्थात् तुलसी जी के गमले की मिट्टी मृत व्यक्ति के मस्तक पर अथवा छाती पर लगा दे तो उसकी भी संसार में वापसी नहीं होती।
4) श्रीमद्भागवत् के छठे स्कन्ध में श्री यमराज जी कहते हैं कि जो भगवान के पवित्र नामों का कीर्तन करते रहते हैं, ऐसे लोग मेरी दण्ड की सीमा में नहीं आते। यमदूत उन भक्तों के पास भी नहीं जाते।
पर कोई आता-जाता नहीं था। हरि-इच्छा से वह बंगला गौड़ीय मठ को मिल गया।
कुछ समय के उपरान्त जब भक्त लोग वहाँ सफाई, इत्यादि करने के लिए पहुँचे तो दिन ढल चुका था। सभी ने वहीं रात रहने का फैसला कर लिया।
जब रात को सब सो रहे थे तो अचानक बंगले के एक कमरे से बहुत ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी। सभी भक्त वहाँ इकट्ठे हो गये। भक्तों ने सोचा की कीर्तन करना होगा।
रात्रि में मृदंग-करताल सहित कीर्तन होने लगा। यह क्रम कुछ दिनों तक चला। कुछ दिनों के बाद कमरे में आवाज़ शान्त हो गयी । परन्तु कोने वाले कमरे में होने लगी। श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी जोकि उस समय ब्रह्मचारी थे , ने बताया की कमरे में जब मैं सोता था तो अचानक सब दरवाज़े-खिड़की खुल जाते थे। फिर हमने वहाँ पर भी कीर्तन करना शुरु कर दिया।
कुछ दिनों के बाद अनुभव किया गया कि बंगले में तो सब शान्त हो गया किन्तु बाहर आँगन में पेड़ ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगता जबकी हवा बिल्कुल भी चल नहीं रही होती थी। तथा रात को स्पष्ट दिखाई देता था कि जैसे कोई स्त्री सफेद कपड़े पहन कर कुएँ से पानी निकाल रही है। दूर से पानी में बाल्टी गिरने की व रस्सी के खिंचने की आवाज़ भी आती थी। परन्तु नज़दीक जाने से कोई दिखता नहीं था, और आवाज़ भी बन्द हो जाती थी।
वैष्णवों के इधर-उधर टहलने व श्रीहरिनाम करने के प्रभाव से धीरे धीरे ये सब भी बन्द हो गया।
आज भी वहाँ पर मठ है और ये सब बातें इतिहास की तरह याद की जाती हैं।
2) एक बार श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी के एक शिष्य जो अमृतसर में रहते थे, आपके पास आये। उन्होंने बताया कि महाराज जी, कुछ दिन पहले हमारे पिताजी का देहान्त हो गया । सभी क्रिया-कर्म व पिण्ड दान आदि करने पर भी कभी-कभी देर रात्री में देखा जाता है कि पिताजी घर में घूम रहे हैं।
जिसने हमको जैसा बोला, वैसे हमने उपाय किए परन्तु कोई परिवर्तन नहीं है। इन सब घटनाओं से मेरी पत्नी बहुत घबराई हुई है। हम सब रात भर घर की सभी लाइटें जगा कर रखते हैं व जागते रहते हैं। कृपया हमें बतायें कि हम क्या करें?
श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी ने कहा -- ' ज्यादा चिन्ता करने की बात नहीं है। हरिनाम करने से सभी तरह का अशुभ दूर हो जाता है। घर में श्रीमती तुलसी जी के गमले को थोड़ा सा ऊँचा आसन देकर रखो और एक महीने के लिए आप और आपकी पत्नी तुलसी जी के पास बैठकर रोज़ाना 1 लाख हरे कृष्ण महामन्त्र करो। सब ठीक हो जायेगा।'उन्होंने ऐसा ही किया और महीना तो बहुत लम्बी बात है, कुछ ही दिनों के बाद उनके पिताजी दिखने बन्द हो गये।
3) ऐसा कहते हैं कि मरणासन व्यक्ति के मस्तक पर तुलसी जी की रज,
अथवा पत्ता अथवा लकड़ी रख देने से उसके जन्म-मरण का चक्कर खत्म हो जाता है। यही नहीं तुलसी जी की इतनी महिमा है कि यदि कोई व्यक्ति तुलसी जी के चरणों की रज़ अर्थात् तुलसी जी के गमले की मिट्टी मृत व्यक्ति के मस्तक पर अथवा छाती पर लगा दे तो उसकी भी संसार में वापसी नहीं होती।
4) श्रीमद्भागवत् के छठे स्कन्ध में श्री यमराज जी कहते हैं कि जो भगवान के पवित्र नामों का कीर्तन करते रहते हैं, ऐसे लोग मेरी दण्ड की सीमा में नहीं आते। यमदूत उन भक्तों के पास भी नहीं जाते।








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