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| श्रील भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी |
मुझे चुपचाप देखकर गुरुजी ने कहा -- दुनियाँ में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसमें दोष ही दोष हों या गुण ही गुण हों। हरेक में दोष व गुण रहते हैं। जिनके बारे में आप बोल रहे हो, उसका दोष वाला पक्ष तो तुमने बोल दिया, अब गुण वाला पक्ष भी बोलो।
गुरुजी की बात सुनकर मैं स्तब्ध सा रह गया और मुझे एहसास हुआ कि किसी की भी निन्दा करना या शिकायत करना अथवा किसी को किसी की नज़रों में गिराना गलत है। उस दिन के बाद मैं कभी किसी की शिकायत लेकर गुरुजी के पास नहीं गया। -- श्रील भक्ति सौरभ आचार्य महाराज जी।



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