
श्रील धनन्जय पण्डित - आप श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु के प्रिय सेवक थे व सदा श्रीकृष्ण प्रेम में मस्त रहते थे। आप श्रीकृष्ण लीला में श्रीबलदेव
जी के प्रिय व द्वादश गोपालों में से एक - वसुदाम सखा हैं। बाल्यकाल से ही आप श्री तुलसी जी को तीनों समय साष्टांग प्रणाम करते थे। आपने बहुर से दस्युओं और पाषण्डियों का उद्धार किया था। श्रील धनन्जय पण्डित जी की जय !
श्रील निवासाचार्य प्रभु - भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने आपके प्रकट होने से पहले ही कह दिया था कि 'श्रीनिवास' मेरा अभिन्न स्वरूप होकर सबका आनन्द वर्धन करेगा। श्रीरूप आदि के द्वारा मैं भक्ति-शास्त्र प्रकाशित करवाऊँगा एवं श्रीनिवास द्वारा ग्रन्थरत्नों का वितरण करवाऊँगा। श्रील निवासाचार्य प्रभु जी की जय !
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