श्रीहरिभक्ति विलास नामक ग्रन्थ में लिखा है -- 'अष्टैतान्यव्रतघ्नानि आपो मूलं फलं पय: । हरिर्ब्राह्मणकाम्या च गुरोर्वचनमौषधम् ॥ [ह: भ: वि: 12/100, महाभारत का उद्योग पर्व] अर्थात् 'जल, फल तथा आलू व शकरकन्दी आदि मूल, दूध या दूध से बनी वस्तुएँ, पनीर व दही इत्यादि' तथा घी को एकादशी के दिन ग्रहण करने से व्रत नहीं टूटता । इनके अलावा इसमें लिखा है कि किसी सदाचारी आचारवान ब्राह्मण व अपने गुरु के आदेश का पालन करने के लिए कुछ भी लिया जा सकता है तथा बहुत बिमार होने से औषधि भी ली जा सकती है।
एकादशी के दिन ब्रह्महत्या, गोहत्या इत्यादि सभी महापाप -- धान अथवा धान से बनी वस्तुएँ (चावल, चिड़वा व मुरमुरे, इत्यादि), गेहूँ (गेहूँ का आटा व मैदा आदि), जौ (सत्तू व बार्ली इत्यादि), दाल (मूंग, मसूर, चना, मटर, आदि), सरसों व सरसों का तेल व तिल का तेल, इत्यादि -- में आ बसते हैं। अत: अपना मंगल चाहने वाले व्यक्ति इस दिन निराहार रहते हैं या फलाहार करते हैं ।
एकादशी के दिन ब्रह्महत्या, गोहत्या इत्यादि सभी महापाप -- धान अथवा धान से बनी वस्तुएँ (चावल, चिड़वा व मुरमुरे, इत्यादि), गेहूँ (गेहूँ का आटा व मैदा आदि), जौ (सत्तू व बार्ली इत्यादि), दाल (मूंग, मसूर, चना, मटर, आदि), सरसों व सरसों का तेल व तिल का तेल, इत्यादि -- में आ बसते हैं। अत: अपना मंगल चाहने वाले व्यक्ति इस दिन निराहार रहते हैं या फलाहार करते हैं ।
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