द्वारा - श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी जैसे जल एक वस्तु है। तरलता (liquidity) उसका स्वभाव है। किसी अन्य कारण से (ठंड से) पानी, बर्फ बन जाता है या गर्मी से भाप बन जाता है। इन दोनों बदली हुई स्थितियों में पानी अपना नित्य धर्म कुछ समय के लिये छोड़ देता है। यह बदला हुआ स्वभाव नित्य (permanent) नहीं है, बल्कि नैमित्तिक (temporary) है। जब यह असामन्य परिस्थिति (अधिक ठंड अथवा अधिक गर्मी) हट जायेगी तो पानी अपने वास्तविक स्वभाव को अपना लेगा। अतः पानी का नित्य धर्म तरलता है। सामान्य परिस्थिति में वस्तु का जो स्वभाव है, वही उसका वास्तविक धर्म है। जिस वस्तु का जो नित्य स्वभाव है, वही उसका नित्य धर्म है। जिन्हें वस्तु का ज्ञान है, केवल वे ही बता सकते हैं कि वस्तु का धर्म क्या है। इसी प्रकार जीव का जो नित्य स्वभाव है, वही उसका धर्म अथवा नित्य धर्म है।
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