सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

श्रीवीरचन्द्र प्रभु -- आविर्भाव तिथि पर विशेष

पयोब्धिशायी नामक संकर्षण जी के जो व्यूह हैं, वे श्रीचैतन्य के अभिन्न विग्रह हैं  तथा वे ही अब श्रीनित्यानन्द जी के पुत्र श्रीवीरभद्र अथवा श्रीवीरचन्द्र के नाम से जाने जाते हैं। श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु एवं उनकी शक्ति श्रीवसुधा देवी को अवलम्बन करके श्रीवीरचन्द्र प्रभु का आविर्भाव हुआ। समस्त विष्णु - तत्त्व में श्री शक्ति, भूशक्ति या भक्ति शक्ति तथा नीला या लीला शक्ति - ये तीन शक्तियाँ विद्यमान हैं। श्रीवीरभद्र प्रभु की तीन शक्तियाँ - श्रीमती, श्रीनारायणी और लीला शक्ति थीं। आप श्रीनित्यानन्द शक्ति श्रीजाह्नवा देवी के मन्त्र शिष्य थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें