शनिवार, 21 सितंबर 2013

आशीर्वचन

शरीर को तन्दुरुस्त करने के लिये हमें शुद्ध हवा व शुद्ध पानी की आवश्यकता होती है। अगर हम दूषित जल व दूषित हवा ग्रहण करते रहेंगे तो हम लम्बे समय तक स्वस्थ नहीं हो पायेंगे।
                                        उसी प्रकार हमें भगवान में पूर्ण विश्वास होना चाहिये। ज़ब तक हमें भगवान में शुद्ध / पूर्ण विश्वास नहीं होगा, तब तक हमारा अन्तःकरण (चित्त) शुद्ध नहीं होगा।श्रील भक्त्यालोक परमाद्वैती महाराज  

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