शरीर को तन्दुरुस्त करने के लिये हमें शुद्ध हवा व
शुद्ध पानी की आवश्यकता होती है। अगर हम दूषित जल व दूषित हवा ग्रहण करते रहेंगे तो हम लम्बे
समय तक स्वस्थ नहीं हो पायेंगे।
उसी प्रकार हमें भगवान में पूर्ण विश्वास होना
चाहिये। ज़ब तक हमें भगवान में शुद्ध / पूर्ण विश्वास नहीं होगा, तब तक हमारा
अन्तःकरण (चित्त) शुद्ध नहीं होगा। - श्रील भक्त्यालोक परमाद्वैती महाराज
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