एक बार कुलीन ग्राम के कुछ गृहस्थ भक्तों ने भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को पूछा की गृहस्थ भक्तों के लिये क्या कर्तव्य है?
श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने उनके माध्यम से सभी गृहस्थ भक्तों के लिये बताया - श्रीकृष्ण सेवा, वैष्णव सेवा और श्रीहरिनाम संकीर्तन।
1) गृहस्थ भक्त को चाहिये की अपने घर में किसी सम्मानीय स्थान पर श्रीकृष्ण का मन्दिर बनाये। रोज उन्हें प्रणाम करे, सारे परिवार को आदत
डालें कि वे भगवान को प्रणाम करें। आरती करे, भोग लगायें, श्रींगार करें। बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं तो दो पुष्प भगवान के चरणों में अर्पित करें, उन्हें हाथ जोड़ कर दण्डवत् प्रणाम करें। भगवान हम सब के मालिक हैं, हमारे माता-पिता हैं।
2) भगवान के भक्तों की सेवा करें। यह क्या बात हुई, हमने जो कमाया, हमीं ने खा लिया। भक्तों की सेवा विभिन्न प्रकार से हो सकती है।
3) निरन्तर हरिनाम संकीर्तन करें।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
हरे कृष्ण महामन्त्र कर सकेंं तो बहुत अच्छा, नहीं तो भगवान का जो भी नाम अच्छा लगता हो, उसे गुनगुनायें, उसे बोलें भक्तों के साथ।
यह तीन काम हर गृहस्थ भक्त को हमेशा करने चाहिये। यह तीन काम करने से बहुत जल्दी ही भगवद् प्रेम की प्राप्ति हो जायेगी।
दुनिया में जो भी हमारे कर्तव्य हैं, duties हैं वो हमें निभाने चाहियें। पैसा कमाना, घर सम्भालना, बच्चों की देखभाल करना, परिवार के सदस्यों की सेवा करना, छोटों को स्नेह और बड़ों को सम्मान देना।
इन दुनियावी कार्यों के साथ-साथ हमें यह तीन आध्यात्मिक कार्य भी करते रहना चाहिये।श्रीकृष्ण सेवा, वैष्णव सेवा और श्रीहरिनाम संकीर्तन्।
इससे बहुत जल्दी ही श्रीकृष्ण-प्रेम प्राप्त होगा जो कि मनुष्य जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य है, जो कि धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष से भी ऊपर पंचम पुरुषार्थ है।
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