शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

मन तो बहुत चंचल है, जी..... -4

जब भी हम कोई काम करने जाएँ तो उन लोगों की बातें सुननी चाहियें जो उस काम के विशेषज्ञ हों। 

तकनिकी काम में इंजिनियर के विचार, काम का ढंग देखना चाहिए। चिकित्सा के क्षेत्र में डाक्टर की बात सुननी चाहिए। उसी प्रकार भगवान की भक्ति करने के लिए, हम से पहले जो भक्त हुए हैं, उनकी विचार-धारा को लेना चाहिए, उनके बारे में सुनना चाहिए। 

प्रह्लाद महाराज जी के पास विपरीत परिस्थियों में भक्ति का अनुभव है, वे अपने मित्रों को बताते हैं कि हे मित्रो! दुनिया में सबसे आसान कोई काम है तो वो है भगवान को प्रसन्न करना, उनसे प्यार करना।

वो कैसे?

क्योंकि भगवान हमें बहुत प्यार करते हैं। उनसे हमारा गहरा नाता है। हम उस नाते को अज्ञान के कारण भूल गये हैं। हम बहुत जन्मों में भटकते हुए उस नाते के प्रति उदासीन हो गये हैं। 

जैसे कोई आपको बहुत प्यार करता हो और वो किसी कारण से नाराज़ हो जाए तो उसे मनाने के लिए बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती। थोड़ी सी चेष्टा से ही वो मान जाता है। माँ अपने बच्चे से बहुत नाराज़ हो जाए तो भी बच्चे के लिए प्यार नहीं छूटता अतः उसके लिए ही चिन्ता करती रहती है। अन्ततः मान जाती है।

यही बात प्रह्लाद महाराज बता रहे हैं कि दुनिया में सबसे आसान काम भगवान का भजन करना है।

श्रीमद् भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि भगवद् भजन करना बहुत आसान है। जो बहुत अधिक खाता है या कम खाता है, अधिक सोता है या कम सोता है, ऐसा व्यक्ति हरि-भजन की साधना नहीं कर सकता है। श्रील रूप गोस्वामी, श्रील सनातन गोस्वामी आदि की बात अलग है। क्योंकि वे सिद्ध हैं। यह बात श्रीकृष्ण साधक के लिए बता रहे हैं।

भजन करना बिल्कुल सरल है। कोई व्यायाम नहीं है। यह तो आत्मा की स्वाभाविक धर्म है।

श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर जी कहते हैं कि आपको जितनी भूख है, उसका आधा खाओ, बाकि आधा हवा और आधा पानी के लिए छोड़ दो।

हमारे श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी ने भी कहा है कि बहुत खाने वाला या कम खाने वाला साधना नहीं कर पाता। जितनी ज़रूरत है उतना खाना चाहिए, उतना घूमना चाहिए, उतना जागना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के सारे दुःखों का नाश हो सकता है व ऐसा व्यक्ति ही भजन-साधन कर सकता है।


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