गुरुवार, 6 सितंबर 2018

भगवान अपने भक्त की हमेशा रक्षा करते हैं

जगद्गुरु श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर प्रभुपादजी के  एक शिष्य थे ---- श्रील भक्ति प्रमोद पुरी गोस्वामी महाराज।

संन्यास ग्रहण करने के बाद आप ने भारत में खूब प्रचार किया। फिर भजन करने के विचार से आप अम्बिका कालना में भगीरथी गंगा के किनारे श्रील गौरी दास पण्डित के श्रीपाट के पास में एक झोंपड़ी बनाकर अपनी भजनस्थली में एकान्त रूप से भजन करने लगे।
आप के विशुद्ध भजन निष्ठा, अत्यन्त विनय नम्र और दीनता के महान आदर्श एवं मधुर व्यवहार से आकर्षित होकर वर्द्धमान के राजा बहादुर ने सन् 1958 में आपको श्रीअनन्त वासुदेव जी के मन्दिर की सेवा का कार्य-भार सौंपा। आप श्री अनन्त वासुदेव जी की सेवा में ही मग्न हो गये। उस समय तक आपके कई शिष्य हो गये थे।

एक दिन आपने अपने सेवकों को बुलाकर कहा -- सर्वत्र घोषणा कर दो कि अमुक दिन श्रीअनन्त वासुदेव मन्दिर में महोत्सव होगा। सबको निमन्त्रण करके आना, उस दिन सब लोग अनुष्ठान में उपस्थित होकर प्रसाद पाकर जायेंगे। आदेश के अनुसार ही काम हुआ।
निर्धारित दिन के सुबह एक-एक करके निमन्त्रित समस्त भक्त, वैष्णव एवं श्रद्धालुअ आने लगे। दिन के 12-1 बजे तक लोगों ने अनुष्ठान एवं प्रसाद की कोई व्यवस्था नहीं देखी। श्रील महाराज अपने दिव्य भाव में श्रीभगवान की पूजा - अर्चना कर रहे थे। बाहर का कोई ध्यान ही नहीं था।

निमन्त्रित सभी लोग हैरान होकर इधर-उधर की बात बोलकर लौटने लगे। इधर सेवकों ने पुनः-पुनः आप से निवेदन किया किन्तु आप को कुछ सुना ही नहीं। 
तीन बजे के समय अनुष्ठान का तँबु, चुल्हा, लकड़ी, चावल, सब्जी, दाल, तेल, घी, मसाला, दही, दूध, मिठाई, केलापाता इत्यादि स्वतः ही प्रकट हो, सभी स्थानों में भर गये। रसोई बनाने वाले भी आ गये और कीर्तन प्रारम्भ हो गया। 

कीर्तन की धुन सुनकर, रसोई से उठते धुएँ को देखकर सभी हैरान हो गये और ध्वनि की ओर लपके।  सब कुछ भरा-भरा देख, सबको सेवा में मग्न देख, सभी अपने-अपने स्थानों पर जा बैठे। 
रसोई के बाद श्रीभगवान को भोग निवेदन हुआ।

जो लोग जा चुके थे, वे भी खबर सुनते ही लौटने लगे। 

उस दिन रात 12 बजे तक भण्डारा चलता रहा। सभी प्रसाद से तृप्त होकर महाराज जी की प्रशंसा करने लगे।

आपने भी थोड़ा सा प्रसाद रूपी दूध पीया और विश्राम करने लगे।

भक्त वत्सल भगवान अपने प्रेमिकभक्त की हमेशा रक्षा करते हैं, इसका यह ज्वलन्त प्रमाण है।

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