शनिवार, 13 जनवरी 2018

भगवान श्रीकृष्ण का रोज़ होता है यहाँ पर……आना

भारत में कई ऐसे स्थान हैं जो कई रहस्यमयी विलक्षणताओं से परिपूर्ण हैं। ऐसा घ एक स्थान है – वृन्दावन का ‘निधिवन’। इसके बारे में मान्यता है कि वहाँ आज भी भगवान श्रीकृष्ण, गोपियों के साथ रास रचाने आते हैं। यही कारण है कि शाम की आरति के बाद निधिवन को बन्द कर दिया जाता है। उसके बाद वहाँ कोई नहीं जाता। यही नहीं, दिन भर वहाँ घूमने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही कहीं अन्यत्र चले जाते हैं। शाम होते ही सभी लोगों को वहाँ से निकाल कर ‘निधिवन’ को बद कर दिया जाता है। वहाँ यह भी मान्यता है कि जो भी मनुष्य रास-लीला द्खने का प्रयत्न करता है, वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है। इतना जानते हुये भी कई लोगों ने झाड़ियों में छुप कर भगवान श्रीकृष्ण
के दर्शन करने चाहे, परिणाम के तौर पर या तो वे मानसिक सन्तुलन खो बैठे या उनकी मृत्यु हो गयी।

निधिवन की एक और खासियत – यहाँ के पेड़ हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब श्रीराधा-कृष्णजी रास के लिये आते हैं तो यही पेड़, गोपियाँ बन जाते हैं। जैसे ही सुबह होती है, वे वापिस पेड़ के रूप में बदल जाते हैं।

‘निधिवन’ के अन्दर ‘रंगमहल” नाम का एक छोटा सा मन्दिर है। यहाँ यह धारणा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण, देवी राधाजी के साथ यहाँ पर आराम करते हैं, इसलिये रंग़महल में शाम होने पर भगवान श्रीकृष्ण व राधाजी के लिये चंदन का पलंग, पानी का लोटा, श्रृंगार का सामान व पान आदि रखे जाते हैं। पूरा मन्दिर सजाने के बाद रात को निधिवन के साथ ही इस मन्दिर के पट भी बंद कर दिये जाते हैं। सुबह पाँच बजे जब मन्दिर के पट खोले जाते हैं तो सारा सामान बिखरा हुआ, पान खाया हुआ और पानी का लोटा खाली मिलता है।

निधिवन के पेड़ भी बड़े विचित्र हैं। अन्य स्थानों पर तो पेड़ ऊपर की ओर बढ़ते हैं, किन्तु निधिवन के पेड़ों की शाखायें नीचे की ओर बढ़ती हैं। यह पेड़ इतने घने हैं कि रास्ता बनाने के लिये इन पेड़ों को डंडों के सहारे से रोका गया है।

निधिवन में स्थित ‘विशाखा कुण्ड’ के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी विशाखा नामक क गोपी को प्यास लगी। उसकी प्यास बुझाने के लिये भगवान ने वंशी से खोदकर यहाँ एक कुण्ड बनाया, और श्रीकृष्णजी के द्वारा गोपी को पानी पिलाया गया। तभी से उस गोपी के नाम से इस कुण्ड का नाम ‘विशाखा कुण्ड’ हो गया।

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