श्रील वंशीदास बाबाजी महाराज बहुत महान वैष्णव थे।
एक बार की बात है, एक व्यक्ति प्रतिदिन आपके पास आता था व पूछता था कि भगवान की प्राप्ति कैसे होगी?
आप चुप ही रहते थे, कुछ नहीं बोलते थे।
एक दिन आप की दृष्टि उस व्यक्ति पर पड़ी।
आपने उससे पूछा - क्या चाहते हो?
व्यक्ति बोला - महाराज ! मैं भगवान को प्राप्त करना चाहता हूँं ।
आपने कहा - 'रोना' ।
शिक्षा - अक्सर लोग भगवान से कुछ न कुछ चाहते हैं। भगवान को न चाहकर, भगवान से कुछ न कुछ चाहते हैं । जब तक हम भगवान 'से' ना चाहकर, भगवान को नहीं चाहेंगे, जब तक हमारे हृदय में भगवान के दर्शन न मिलने के कारण रोना नहीं आयेगा, तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी।
श्रील वंशीदास बाबाजी महाराज जी की जय !!!!
एक बार की बात है, एक व्यक्ति प्रतिदिन आपके पास आता था व पूछता था कि भगवान की प्राप्ति कैसे होगी?
आप चुप ही रहते थे, कुछ नहीं बोलते थे।
एक दिन आप की दृष्टि उस व्यक्ति पर पड़ी।
आपने उससे पूछा - क्या चाहते हो?
व्यक्ति बोला - महाराज ! मैं भगवान को प्राप्त करना चाहता हूँं ।
आपने कहा - 'रोना' ।
शिक्षा - अक्सर लोग भगवान से कुछ न कुछ चाहते हैं। भगवान को न चाहकर, भगवान से कुछ न कुछ चाहते हैं । जब तक हम भगवान 'से' ना चाहकर, भगवान को नहीं चाहेंगे, जब तक हमारे हृदय में भगवान के दर्शन न मिलने के कारण रोना नहीं आयेगा, तब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी।
श्रील वंशीदास बाबाजी महाराज जी की जय !!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें