बुधवार, 27 जनवरी 2016

आप आठ कविराजों में से एक हैं ।

आपको श्रीनिवासाचार्य प्रभु ने स्नेह से दीक्षा मन्त्र प्रदान कर शिष्य स्वीकार किया था। आपकी गुरु-भक्ति अतुलनीय थी। श्रील गुरुदेव की आज्ञा को आप बिना विचार किये ही पालन करते थे। 

जब आप वृन्दावन में थे तो उस समय आपको श्रीजीव गोस्वामी आदि वैष्णवों का संग और उनकी कृपा प्रार्थना करने का सौभाग्य मिला था। आपके अपूर्व कवित्त्व को सुनकर वैष्णवों को बहुत आनन्द आता था।

श्रील जीव गोस्वामी जी ने आपके कवित्त्व से प्रसन्न होकर आपको 'कविराज' की उपाधि प्रदान की थी।

आप आठ कविराजों में से एक हैं।

श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ने अपने स्वरचित ग्रन्थ 'श्रीगौर-पार्षद गौड़ीय वैष्णवाचार्यों के संक्षिप्त चरितामृत' में यह बताया है कि आप श्रीकृष्ण लीला में करुणा-मंजरी हैं।
श्रील नरोत्तम ठाकुर जी ने स्वरचित 'प्रार्थना' गीति में आपके संग की कामना की है।

दया कर श्रीआचार्य प्रभु श्रीनिवास।
रामचन्द्र संग मांगे नरोत्तम दास॥


श्रील रामचन्द्र कविराज जी की जय !!!!!


आपके तिरोभाव तिथि पूजा महामहोत्सव की जय !!!!!

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