सभी विष्णु तत्त्व श्री, भू, नीला या लीला - इन तीन
शक्तियों से युक्त होते हैं । श्रीअद्वैत आचार्य जी ने अपने स्वरूप की सम्पूर्णता
को प्रकाशित करने के लिये शक्ति ग्रहण की लीला की । विप्रश्रेष्ठ श्रीनृसिंह भादुड़ी
की दो कन्याएँ - श्रीमती सीता देवी तथा श्रीदेवी , श्रील अद्वैताचार्य की पत्नी
हुईं।
भगवती योगमाया श्रील अद्वैताचार्य की पत्नी सीता देवी
के रूप में अवतीर्ण हुईं। आपका प्रचलित नाम 'श्री' था। श्रील अच्युतानन्द जी आपके
पुत्र थे जो श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के प्रिय थे, पण्डित गोस्वामी के शिष्य एवं
उनके प्रिय के रूप में विख्यात थे।
श्रीगौरचन्द्र जी के आविर्भाव के बाद श्रील
अद्वैताचार्य जी की अनुमति लेकर आप (श्रीमती सीता देवी) बालक शिरोमणि गौर-गोपाल के
दर्शनों के लिये उपहार लेकर नवद्वीप-मायापुर गयीं थीं।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें