शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

तीर्थ यात्रा करें तो उसका फल भी पूरा प्राप्त करें -- 6

विभिन्न बातों से हमने जाना कि तीर्थ यात्रा करना अच्छा है किन्तु ये तीर्थ यात्रा भक्तों से साथ श्रीहरि संकीर्तन करते हुए करनी चाहिये।  हरि-चर्चा करते हुए होनी चाहिए। जिस तीर्थ में वैष्णव दर्शन न हों, वहाँ जाना ही नहीं चाहिए और कहीं पर शुद्ध भक्तों की संगति मिल जाये तो यही समझना चाहिए कि हम तीर्थ में ही हैं। क्योंकि जहाँ साधु हैं, वहीं तीर्थ है।

एक प्राचीन प्रसंग है। जब भगीरथ जी, गंगा जी को इस पृथ्वी पर अवतरण करवाने कि चेष्टा कर रहे थे। वैसे कोई भी अच्छा कार्य करने के लिए कुछ संघर्ष तो करन ही पड़ता है। भगीरथ जी की दो पीढ़ियाँ इसका प्रयास कर चुकी थीं। भगीरथ जी तीसरी पीढ़ी के हैं जिनके प्रयास से गंगा जी पृथ्वी पर आईं।

गंगा जी पृथ्वी पर आयें, उसके लिए भी कई प्रकार की समस्याओं का समाधान भगीरथ जी को खोजना है पड़ा। 

पहली समस्या यह थी कि जब गंगा जी का अवतरण होगा, उनका इतना तीव्र वेग था कि जब वे उस वेग से पृथ्वी पर गिरेंगी तो हो सकता है कि वे पृथ्वी को चीर कर नीचे चली जायें और जिस उद्देश्य से भगीरथ जी उन्हें पृथ्वी पर लाना चाह रहे थे, वो पूर्ण ही न हो पाता। अतः इस समस्या का समाधान ढूँढा गया। श्रीशिव जी महाराज से प्रार्थना की गई कि इनके प्रवाह को आप रोको। भगीरथ जी की तपस्या से शिव जी प्रसन्न हुए और गंगा जी को अपनी जटाओं में स्वीकार किया। किन्तु गंगा जी वहीं उलझ गईं, वहाँ से आगे ही नहीं निकल पाईं। फिर शिव जी से प्रार्थना की और शिव जी ने गंगा जी को प्रवाहित करवाया। इस प्रकार से बहुत सी समस्यायों में से एक समस्या यह भी थी कि गंगा जी ने पृथ्वी पर आने से पहले पूछा-  मैं पृथ्वी पर चली जाऊँगी और दुनिया के लाखों लोग स्नान करेंगे, सबके पाप धुलेंगे, वो पाप मेरे पास एकत्रित हो जायेंगे। तो मेरा कल्याण कैसे होगा?

(श्रीमद् भागवत् में यह प्रसंग आता है।) वहाँ पर भगीरथ जी कहते हैं - देवी! आप बिल्कुल चिन्ता न करें। यह ठीक है कि जो  लोग गंगा नदी में स्नान करेगा, उससे उनके पाप धुल जायेंगे। इसमें कोई संशय नहीं है।  जब शुद्ध भक्त लोग, भगवान के प्रेमी भक्त लोग गंगा में डुबकी लगायेंगे तो हे गंगे, आप तमाम पापों से मुक्त हो जायेंगीं। 

यह बात सुनकर गंगा जी बहुत प्रसन्न हुईं और उनका पृथ्वी पर अवतरण हुआ।

गंगा जी पावन हैं, गंगा जी पापिओं को भी पावन कर देती हैं और गंगा जी को भी पावन कर देते हैं-- शुद्ध भक्त ।

ऐसे जो शुद्ध भक्त हैं जो गंगा जी को भी पवित्र कर देते हैं, ऐसे भक्तों से यदि हरिकथा सुनने को मिले तो वह हमारी तीर्थ यात्रा को सफल कर देती है।


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