शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

शुद्ध भक्ति गंगा के भगीरथ

 


आज से 529 साल पहले नन्द-नन्दन श्रीकृष्ण सारे जीवों को अपना प्रेम वितरण करने के लिए श्रीचैतन्य महाप्रभु के रूप में अवतरित हुये। परन्तु शुद्ध भक्ति अथवा प्रेम-धर्म की शिक्षा के अभाव में एक समय ऐसा भी आया जब गौड़ीय जगत में एक तरह का अंधकार छा गया। शिक्षित समाज चैतन्य महाप्रभु का नाम लेने से ही नाक-भौं सिकोड़ने लगा। उस समय भगीरथ की तरह शुद्ध भक्ति गंग़ा का पुनः प्रवाह इस जगत में लेकर आये --- श्रील भक्ति विनोद ठाकुर।



श्रील भक्ति विनोद ठाकुर और श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद जी ने हम सब के कल्याण के लिए चैतन्य महाप्रभु की शिक्षा का इतने सुन्दर तरीके से प्रचार-प्रसार किया कि आज पूरे विश्व में 4000 से अधिक प्रचार केन्द्र और 6000 से अधिक website भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी व श्रीभक्ति विनोद ठाकुर जी की विचार-धारा का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। 

श्रीचैतन्य महाप्रभु के पार्षद श्रीरूप-सनातन जी ने जिस प्रकार अपने दिव्य प्रभाव से श्रीब्रज-मण्डल में श्रीकृष्ण जी की लीला स्थलियों को प्रकाशित किया, उसी प्रकार श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी ने श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के प्रकट-स्थान व श्रीमहाप्रभु जी की विभिन्न लीला-स्थलियों को प्रकाशित किया इसीलिये श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी को सप्तम गोस्वामी कहा जाता है ।
एक स्वरचित भजन में आपने कहा है कि अपने दुर्लभ मानव जन्म के प्रति हमेशा सजग रहें क्योंकि ये स्वर्ण अवसर कभी भी छिना जा सकता है। इसके इलावा आपकी अपने परिवार, समाज व देश के प्रति जो भी कर्तव्य हैं, उन्हें करें परन्तु जीवन की हरेक परिस्थिति में बड़े यत्न के साथ हरिनाम का आश्रय लिये रहें। 

जीवन अनित्य जानह सार, ताहे नानाविध विपद भार,
नामाश्रय करि यतने तुमि, थाकह आपन काजे ।

अखिल भारतीय श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के प्रधानाचार्य, परमाराध्य श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी कहते हैं --

गौड़ीय मठ = श्रील भक्ति विनोद ठाकुर  

एवं 

गौड़ीय मठ -  (minus) श्रील भक्ति विनोद ठाकुर = 0, अर्थात् श्रील भक्ति विनोद ठाकुरजी के बिना गौड़ीय मठ = 0

श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी की जय !!!!

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