शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

मन तो बहुत चंचल है, जी..... 1

जब कोई साधक अपनी साधना प्रारम्भ करता है, तब जो-जो समस्यायें उसके सामने आती हैं, जिन-जिन समस्याओं का हल निकालता है उन विभिन्न समस्यओं में एक समस्या आती है कि मन बड़ा ही चंचल रहता है। क्या करे उसे समझ में ही नहीं आता है……………… 

हमारी इस समस्या को अर्जुन ने भगवान के आगे रखी। जब अर्जुन ने भगवान के आगे समस्या रखी तो भगवान ने माना कि मन चंचल है, इसे रोकना कठिन है। लेकिन भगवान ने कहा कि ये असम्भव नहीं है।

अर्जुन ने भगवान से कहा --  मन हमारा हाल बहुत बुरा कर देता है, मन बहुत ही शक्तिशाली है। बड़ा हठिला है, जिद्दी है, चंचल है। जैसे आकाश में वायु चल रही, उसे रोकना कितना कठिन है, ऐसे ही इस मन को वश में करना बड़ा कठिन है।

अन्तर्यामी भगवान ने कहा -- इसमें कोई सशय नहीं कि मन बहुत चंचल है, इसको बस में करना मुश्किल ह। मन को दमन करना कठिन है। लेकिन यह असंभव नहीं है।


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