श्रीराम चरित मानस लिखने वाले महान सन्त श्रीगोस्वामी तुलसी दास जी ने कहा -
जो चार वेद हैं , उन्हें अगर पढ़ा जाय और मुख्य छः दर्शन हैं जैसे न्याय दर्शन, सांख्य दर्शन, योग दर्शन, पूर्व मींमासा, आदि --- इनको अगर गंभीरता से देखा जाये तो यह पता चलता है कि अगर आप किसी को दुःख दोगे तो आपको दुःख मिलेगा। क्योंकि यह संसार कर्म क्षेत्र है।
एक-एक कर्म का फल मिलता है। किसी को मानसिक कष्ट देंगे, तो हमें भी मानसिक कष्ट भोगना पड़ेगा। हम किसी को शारीरिक कष्ट दें तो शारीरिक कष्ट मिलेगा। किन्तु कब मिलेगा? -- यह निर्णय भगवान न अपने हाथ में रखा है।
गरुड़ पुराण में लिखा है कि हमें अवश्य ही भोगने पड़ेंगे, शुभ अथवा अशुभ कर्म जो हमने अपने जीवन में किए। कोई भी कर्म तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक हम उसका फल नहीं भोग लेते, चाहे इस जन्म में अथवा आने वाले किसी भी जन्म में।
चाहे हज़ारों जन्म गुज़र जायें, लेकिन हर कर्म का फल अवश्य मिलेगा।
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