जिनके ब्रज का सब कुछ चिन्मय है, उन श्रीकृष्ण के अधरों का स्पर्श प्राप्त करने वाली वंशी ही श्रीवंशी दास ठाकुर नाम के भक्त के रूप में इस धरातल पर अवतरित हुई।
मधु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर इनका आविर्भाव हुआ ।
श्रीवंशीवदन ठाकुर जी ने गृहस्थ लीला की थी । इनके श्रीनित्यानंद दास और श्रीचैतन्य दास नाम के दो पुत्र थे.. श्री वंशीवदन जी के पोते श्रीरामचंद्र दास जी को श्री नित्यानंद जी की शक्ति श्रीजाह्नवा देवी मांग कर ले गयी थी.. ...और उनको दीक्षा प्रदान की तथा उसे वैष्णव तत्व की पूरी पूरी शिक्षा दी ।
श्रीवंशी वदन ठाकुर जी द्वारा सेवित विग्रह का नाम "श्रीप्राण वल्लभ " था.
वैष्णव की कृपा बिना हम भक्ति मार्ग पर अग्रसर नहीं हो सकते ।परम करुणामय श्रील गुरुदेव श्री श्रीमद् भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी जी महाराज अक्सर कहा करते हैं कि हमें वैष्णव से उनकी कृपा प्रार्थना करते रहना चाहिए....
......विशेष रूप से उनके आविर्भाव और तिरोभाव तिथि पर उनको याद करना चाहिए और उनकी कृपा प्रार्थना करनी चाहिए ।
आज श्रीकृष्ण जी के पार्षद श्रीवंशी दास ठाकुर जी की आविर्भाव तिथि पर उनको दण्डवत् प्रणाम करते हुए उनकी कृपा प्रार्थना करते हैं ।
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