गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019

श्यामकुण्ड समकोण यानि कि चौरस क्यों नहीं है?

जिस समय श्रीमन्महाप्रभु जी ने आरिटग्राम के धान के खेत में स्नान लीला द्वारा राधा-कुण्ड व श्याम-कुण्ड को प्रकाश किया था तब श्याम कुण्ड व राधा कुण्ड साफ नहीं थे और उनके घाट भी पक्के नहीं थे। 

श्रीरघुनाथ गोस्वामी जी ने मन ही मन सोचा कि दोनों कुण्डों की सफाई हो जाती तो अच्छा होता पर फिर दूसरे ही क्षण उन्होंने अपने आप को इस इच्छा के लिये धिक्कारा । इधर कोई धनी सेठ बद्री नारायण जी को बहुत सा धन भेंट करने के लिये बद्रीनाथ गया था। श्रीबद्री नारायण जी ने उसी सेठ को, मथुरा के आरिट ग्राम में श्रीरघुनाथ गोस्वामी जी की इच्छानुसार राधा कुण्ड - श्याम कुण्ड के संस्कार के लिये धन देने के लिये, स्वप्न में आदेश दिया। सेठ जी बद्री नारायण जी का यह आदेश पाकर आरिट ग्राम में आ गये और यहाँ आकर श्रीरघुनाथदास गोस्वामी जी को सारी बात बताई।

दास गोस्वामी जी की इच्छा के अनुसार, दोनों कुण्डों से कीचड़ निकलवा कर रीति के अनुसार उनका संस्कार हुआ। श्यामकुण्ड के किनारे पाँचो पाण्डव वृक्षों के रूप में रहते थे। श्यामकुण्ड को समकोण करने के लिये वृक्षों को काटने का संकल्प होने पर युधिष्ठिर महाराज ने स्वप्न में श्रीरघुनाथ दास गोस्वामी को वहाँ पाँचों पाण्डवों के वृक्षों के रूप में रहने की बात बतलाई । तब श्रील दास गोस्वामी ने वृक्षों को काटने की मनाही कर दी। इसी कारण श्यामकुण्ड समकोण यानि कि चौरस नहीं है।

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