
श्रील भक्ति विनोद ठाकुरजी ने ललिता सखी की अयोग़्य किंकरी के रूप में अपना परिचय दिया है।
महा भाव-चिन्तामणि श्रीमती राधारानीजी का कायव्यूह स्वरूप ललितादि सखियां हैं।
ललिता, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, चम्पकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या एवं सुदेवी -- इन आठ प्रियतम सखियों में ललिता सखी प्रधाना हैं।
राधाकुण्ड के जिस श्रीस्वानन्द कुन्ज में श्रील भक्ति विनोद ठाकुर और श्रील सरस्वती गोस्वामी ठाकुर जी ने भजन का आदर्श दिखाया था, वहीं
ललिता सखी का कुंज है।
श्रीब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार गोलोक रासमण्डल में श्रीमती राधाजी के रोम छिद्रों से ललिता आदि गोपियों का आविर्भाव हुआ है।
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