रविवार, 10 जून 2018

गरीब के भूखे रहने और एकादशी का व्रत करने में अन्तर क्या है?

प्र: हम एकादशी का व्रत करते हैं। एक गरीब भूखा रहता है। दोनों में अन्तर क्या है? कोई-कोई कहता है कि अगर व्रत करने से भगवान मिलते तो गरीब को भगवान मिल जाने चाहिये।

उः
दुनियाँ में जब हम किसी को प्यार करते हैं, तो कई तरह से प्यार का इज़हार करते हैं।  माँं - बाप बच्चे को गोद में उठाकर उसके सिर को व गालों को चूम कर उसके साथ तोतली भाषा में बात करके, उसकी पसन्दीदा चीज़ें उसको खिलाकर अपने प्यार का इज़हार करते हैं। बच्चे अपनी इच्छाओं को छोड़ कर माता-पिता की बात को मान कर, उनके चरण स्पर्श करके व उनकी पसन्दीदा चीज़ें खरीद कर उन्हें भेंट करके अपने प्यार का इज़हार करते हैं। इसी प्रकार हरेक सम्बन्ध में होता है। यहाँ तक की गाय-हिरण-शेर इत्यादि जानवर अपने बच्चों को चाट कर उनके साथ खेलकर अपने प्यार का इज़हार करते हैं।  
इसी प्रकार प्रभु की महिमा सुनकर व दूसरों को सुनाकर, नाचते-गाते संकीर्तन करते हुये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, श्रीराम नवमी, श्रीनृसिंह चतुर्दशी, श्रीराधा अष्टमी व श्रीगौर पूर्णिमा इत्यादि उत्सवों को धूमधाम से मनाकर, भगवान की प्रिय तुलसीजी की सेवा, मन्दिर परिक्रमा, धाम दर्शन व एकादशी व्रत करके भक्त भगवान के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते हैं। 

इसी तरह भगवान भी प्रह्लाद, मीरा, गजेन्द्र व द्रौपदी आदि भक्तों को अलग-अलग तरह की मुसीबतों से बचाकर, वृजवासी सखाओं की जूठन खाकर, भीलनी के जूठे बेर खाकर अपने प्यार का इज़हार करते हैं।  

सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ श्रीमद् भागवत महापुराण में भगवान श्रीकृष्ण उद्धव जी को कहते हैं - मैं इस संसार में जितनी भी क्रियायें करता हूँ, उन सबका एक ही उद्देश्य है, भक्तों को अपने प्यार का इज़हार करना व उनका आनन्द बढ़ाना। 

आपको जिसने भी यह कहा कि -- 'कोई-कोई कहता है कि अगर व्रत करने से भगवान मिलते तो गरीब को भगवान मिल जाने चाहिये।' 

अपने हिसाब से ठीक ही कहा। क्योंकि हर सब्जेक्ट की अपनी-अपनी पढ़ाई होती है। एक अंग्रेज़ी का स्कालर, डाक्टर की भाषा या बिमारी के बारे में नहीं समझ सकता है। एक डाक्टर को यदि कहा जाये कि बिल्डिंग का नक्शा बनाये तो वो नहीं बना पायेगा। बना भी लेगा तो कोई उसे मान्य नहीं करेगा। इसी प्रकारा आध्यात्मिक जगत की पढ़ाई भी होती है।सच्चे भक्तों की संगति व सुकृतियोंं के बिना गीता जैसे ज्ञान के ग्रन्थ को पढ़कर भी यह पढ़ाई भी समझ में नहीं आती। 

आप ही सोचो एक भक्त का एकादशी करके भगवान के प्रति अपने प्यार का इज़हार और एक भूखे व्यक्ति का अन्न के अभाव में भूखा रहना, क्या एक ही है?

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