बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

श्रीनवद्वीप के अन्तर्गत श्रीॠतुद्वीप

यह अर्चन भक्ति का क्षेत्र है।

श्रीभक्ति रत्नाकर ग्रन्थ के अनुसार श्रीईशान ने श्रीनिवास को बताया -- 'यहाँ सभी ॠतुएँ अर्थात् वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर, बसन्त एवं ग्रीष्म, मूर्ति रूप से प्रकट होकर आपस में मधुर भाषा में कहती थीं -- श्रीकृष्ण-चन्द्र नदीया में प्रकट होंगे। कोई कहती -- अद्भुत विहार करेंगे भगवान श्रीगौरहरि एवं हम सभी का पद-पद पर आनन्द बढ़ायेंगे।


कोई कहती -- ब्रजेन्द्रनन्दन गौरहरि अवतार लेकर बहुत दिन तक आनन्द प्रदान करेंगे। कोई कहती कि कलियुग की प्रथम सन्ध्या में अवतार लेंगे, इस प्रकार से श्रीनारद मुनि जी ने सर्वत्र प्रचार किया है। कोई कहती -- बसन्त ॠतु का बहुत भाग्य है क्योंकि भगवान इसी ॠतु में प्रकट होंगे।


बहुत सी अभिलाषाओं के साथ सभी ॠतुएँ यहाँ पर प्रभु की आराधना करतीं थीं -- इसलिये इसको ॠतुद्वीप कहते हैं। इस स्थान के दर्शन से सब ताप दूर हो जाते हैं।

श्रीॠतुद्वीप की जय !!!!

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