मंगलवार, 15 अगस्त 2017

भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति में बाधा क्या है?

एक दिन भगवान श्रीकृष्ण - श्रीबलराम गोचारण के समय बछड़ों और गोपबालकों के साथ भ्रमण करते-करते एक जलाशय के पास पहुँचे।

गोपबालकों और बछड़ों को बहुत प्यास लगी हुई थी। अतः उस जलाशय का जल पीने लगे कि तभी कंस का भेजा हुआ एक भयंकर असुर वहाँ आ गया। उसका नाम था बकासुर्। 
उसे देखकर सभी भयभीत हो गये। बकासुर उनके पास आया और गोप बालकों के सामने अपन मुँह खोल कर श्रीकृष्ण को निगल गया। ऐसा भयंकर दृश्य देखकर श्रीबलदेव व गोपबालक प्राणः शून्य हो गये। भक्त आर्तिहर श्रीकृष्ण जब उस बगुले रूपी बकासुर के तालु के नीचे पहुँचे तो आग के समान उसका तालु जलाने लगे। 

बक ने घबराकर श्रीकृष्ण को वमन कर बाहर निकाल दिया। किन्तु जब दूसरी बार फिर निगलने के लिए आया तो श्रीकृष्ण ने उसकी दोनों चोंच को चीर कर उसका वध कर दिया। 
प्रत्येक प्राणी के हृदय में स्थित बकासुर का जब तक वध नहीं हो जाता तब तक श्रीकृष्ण को प्राप्त नहीं किया जा सकता व श्रीकृष्ण भक्ति की प्राप्ति नहीं होती। 

श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी के अनुसार बकासुर 'खुटिनाटि' धूर्तता और 'शाठ्य' का प्रतीक है। धूर्तता और शठता श्रीकृष्ण की प्राप्ति में बाधा हैं। 

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