इस मन्दिर की खास बात यह है कि यहाँ पर श्रीहनुमान जी की मूर्ति मनुष्य ने नहीं बनाई है। नीले व स्फेद रंग की आठ फुट बड़ी मूर्ति बहुत समय पहले इसी स्थान से प्राप्त हुई थी, जहाँ पर यह मन्दिर है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी स्वयं-प्रकट मूर्तियाँ बहुत शक्तिशाली होती हैं, व अपने भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण करती हैं। मन्दिर बहुत ही सुन्दर है। इसका जीर्णिद्धार का कार्य भी चल रहा है।
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