बुधवार, 10 मई 2017

आपकी सेवा से प्रसन्न हो कर श्रीचैतन्य महाप्रभु मूर्ति से साक्षात् प्रकट् हो गये

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में जो द्वादश गोपालों के बीच अर्जुन सखा हैं, वे ही भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की लीलाओं में श्रीपरमेश्वर दास (श्रीपरमेश्वरी दास) बन कर आये।

आप श्रीनित्यानन्द जी के प्रधान पार्षद हैं।

आपके श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की एक मूर्ति (विग्रह)  की बहुत भाव से सेवा करते थे। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर श्रीचैतन्य महाप्रभु जी उसमें से साक्षात् प्रकाशित हो गये थे।

एक बार जब आप श्रीमती जाह्नवा देवी के साथ ब्रज की यात्रा पर गये। वहाँ पर श्रीमती जाह्नवा देवी की कृपा से आपको श्रीराधा-गोपीनाथ जी के दर्शन हुये थे। ऐसी लीला के दर्शन कर, आपने श्रीमती जाह्नवा जी के आदेश से श्रीराधा-गोपीनाथ जी की विग्रह प्रतिष्ठा की थी। 
श्रीचैतन्य चरितामृत के अनुसार आपने श्रीनित्यानन्द जी की एकमात्र शरण ली है, जो आपका स्मरण करेगा उसे कृष्ण-भक्ति प्राप्त हो जायेगी।

श्रील परमेश्वरी दास ठाकुर जी की जय !!!!!!

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