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आपका प्राकट्य श्रीकृष्ण से ही हुआ है, श्रीकृष्णाभिन्न तनु होने के कारण आप श्रीकृष्ण की प्रियतमा हैं।
श्रीमती राधाजी के रोम छिद्रों से लाख-करोड़ गोपियां व श्रीकृष्ण के रोम छिद्र से लाख-करोड़ गोप और गऊँऐं प्रकट हुई थीं।
बृहद्गौतमीय तन्त्र में श्रीमती राधा रानी का नाम स्पष्ट रूप में लिखा है।
आपके आविर्भाव के सम्बन्ध में ऐसा सुना जाता है -


एक उनके बन्धु नन्द महाराज जी अपनि पत्नी यशोदा देवी, शिशु गोपाल को लेकर वृषभानु राजा के पास आये तो वृषभानु राज नन्दमहाराज के सामने अपना दुःख निवेदन करने लगे। उसी समय एक अद्बुत लीला हुई।
शिशु गोपाल रेंगता रेंगता राधारानी के पास चला गया। जैसे ही उसने आपको स्पर्श किया, आपने अपनी आँखें खोल दीं।
श्रीमती राधारानी का संकल्प था कि आप आँखें खोलते ही पहले श्रीकृष्ण को देखेंगीं। इसलिये श्रीकृष्ण के आने के सात साथ ही राधा रानी ने नेत्र खोल दिये।
श्रीमती राधारानी की जय !
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