श्रील रसिकानन्द देव गोस्वामी जी का एक अन्य नाम श्री रसिक मुरारी था। आप श्रील श्यामानन्द जी के प्रिय शिष्य थे।
आपने अपने आचरण से दिखाया कि कैसे निष्कपट व आतुर भाव से सद्गुरु की प्राप्ति हो सकती है। आपकी प्रभावशाली गुरु सेवा को देख आप की गिनती सद्-शिष्यों में की जाती है।
वैसे तो कहने के लिए गुरु के कई शिष्य होते हैं, किन्तु वास्तविक गुरुनिष्ठ व अनन्य सेवा परायण शिष्य में ही गुरु की सारी शक्ति अर्पित होती है… आप ऐसे ही आदर्श शिष्य थे, यह आपकी लीलाओं से जाना जा सकता है।
एक बार आपकी जगत से जाने की इच्छा हुई। आप अपने सात सेवकों के साथ संकीर्तन करते-करते रेमुणा के प्रसिद्ध खीरचोरा गोपीनाथ जी के मन्दिर में गये।
वहाँ जाकर आपने ज़ोर-ज़ोर से नृत्य कीर्तन प्रारम्भ कर दिया।
और सबके देखते ही देखते आप भगवान गोपीनाथ जी के श्रीअंगों में प्रविष्ट हो गये।
आपके सातों साथियों ने जब यह अलौकिक दृश्य देखा तो उन्होंने भी वहीं पर शरीर त्याग दिया।
आज भी गोपीनाथ जी के मन्दिर के आंगन में एक ओर श्रील रसिक मुरारी जी की पुष्प समाधि है तथा साथ ही साथ उनके सात सेवकों की समाधि भी हैं।
श्रील रसिकानन्द देव गोस्वामी जी की जय !!!!!!
आपके सातों सेवकों की जय !!!!
आपके तिरोभाव तिथि पूजा महा-महोत्सव की जय !!!!!
आपने अपने आचरण से दिखाया कि कैसे निष्कपट व आतुर भाव से सद्गुरु की प्राप्ति हो सकती है। आपकी प्रभावशाली गुरु सेवा को देख आप की गिनती सद्-शिष्यों में की जाती है।
वैसे तो कहने के लिए गुरु के कई शिष्य होते हैं, किन्तु वास्तविक गुरुनिष्ठ व अनन्य सेवा परायण शिष्य में ही गुरु की सारी शक्ति अर्पित होती है… आप ऐसे ही आदर्श शिष्य थे, यह आपकी लीलाओं से जाना जा सकता है।
एक बार आपकी जगत से जाने की इच्छा हुई। आप अपने सात सेवकों के साथ संकीर्तन करते-करते रेमुणा के प्रसिद्ध खीरचोरा गोपीनाथ जी के मन्दिर में गये।
वहाँ जाकर आपने ज़ोर-ज़ोर से नृत्य कीर्तन प्रारम्भ कर दिया।
और सबके देखते ही देखते आप भगवान गोपीनाथ जी के श्रीअंगों में प्रविष्ट हो गये।
आपके सातों साथियों ने जब यह अलौकिक दृश्य देखा तो उन्होंने भी वहीं पर शरीर त्याग दिया।
आज भी गोपीनाथ जी के मन्दिर के आंगन में एक ओर श्रील रसिक मुरारी जी की पुष्प समाधि है तथा साथ ही साथ उनके सात सेवकों की समाधि भी हैं।
श्रील रसिकानन्द देव गोस्वामी जी की जय !!!!!!
आपके सातों सेवकों की जय !!!!
आपके तिरोभाव तिथि पूजा महा-महोत्सव की जय !!!!!
Excellent article..so sweet story !! please keep it up !! Jay Srila Prabhupada !!
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