भगवान
श्रीकृष्ण के निज-जन, श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ने अपने
ग्रन्थ 'श्री गौरपार्षद एवं गौड़ीय वैष्णवाचार्यों का संक्षिप्त चरितामृत'
में बताया है की श्रीश्यामानन्द प्रभु जी श्रीमती राधा रानी जी को बहुत
प्रिय थे।
एक बार श्रीश्यामानन्द प्रभु जी श्रीधाम
वृन्दावन के रास-मण्डल में झाड़ू से सफाई कर रहे थे। आप कृष्ण-प्रेम में
डूबे हुए सफाई कर रहे थे की अचानक आपको श्रीमती राधाजी की इच्छा से,
श्रीमती राधाजी के श्रीचरणों का एक नूपुर मिला।
आपने अत्यन्त उल्लास के साथ उस नूपुर को अपने मस्तक पर लगाया। देखते ही देखते आपके ललाट पर नूपुर जैसे ही तिलक प्रकट हो गया ।
तभी से आपके शिष्यों में नूपुर तिलक का प्रवर्तन हुआ।
आपने अत्यन्त उल्लास के साथ उस नूपुर को अपने मस्तक पर लगाया। देखते ही देखते आपके ललाट पर नूपुर जैसे ही तिलक प्रकट हो गया ।
तभी से आपके शिष्यों में नूपुर तिलक का प्रवर्तन हुआ।
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