रविवार, 25 जनवरी 2015

बारिश होने पर भी आपके लिखे पन्ने गीले नहीं होते थे।

भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के भक्त थे श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर। आप जगत को भक्ति का मार्ग दिखाने वाले होने के कारण विश्वनाथ और भक्तों में श्रेष्ठ होने के कारण चक्रवर्ती की उपाधि से विभूषित हुये।

आप इतने उच्च कोटि के भक्त थे कि आप जिस स्थान पर श्रीमद् भागवतम् लिखते थे, बारिश होने पर जब उस स्थान पर पानी गिरता, तो उस स्थान पर पानी गिरने पर भी ग्रन्थ गीला नहीं होता था। ग्रन्थ के पन्ने
बिलकुल भी नहीं भीगते थे।

आप श्रीगोकुलानन्द जी की सेवा करते थे। आज भी वो विग्रह वृन्दावन के श्रीगोकुलानन्द मन्दिर में विराजित है।

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