एक दिन श्रीअद्वैताचार्य जी ने, श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को निवेदन किया की आप हमारे घर पर भोजन - प्रसाद खाने आयें। श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने मुस्कुराते हुए 'हाँ' कह दिया।
उस दिन श्रीअद्वैताचार्य जी ने अपने हाथों से सारा भोजन तैयार किया।
आपके हृदय में इच्छा थी की आप अकेले श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को अपनी इच्छा के अनुसार भोजन - प्रसाद खिलायें।
उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि मौसम खराब होने से, बहुत आँधी-तूफान आया। इस कारण से श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के साथ जो संन्यासी भोजन
करने आते, थे, उनमें से कोई भी नहीं आ पाया।
अकेले श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को आया देख, श्रीअद्वैताचार्य जी ने आनन्द से श्रीमहाप्रभु जी को बहुत प्रकार के व्यन्जन खिलाये।
चूँकि इन्द्र-देवता ने वर्षा इत्यादि करके श्रीअद्वैताचार्य जी की इच्छा पूरी होने दी, इसलिए श्रीअद्वैताचार्य ने श्रीकृष्ण के सेवक के रूप में उनका स्तव किया।

भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी अद्वैताचार्य जी के मनोभावों को समझ गये और आपकी महिमा कीर्तन करते हुए बोले, -- 'जिनकी इच्छा स्वयं श्रीकृष्ण पूरी करते हैं, इन्द्र उनकी आज्ञा का पालन करेंगे, इसमें आश्चर्य की क्या बात है?'
श्रीअद्वैताचार्य जी की जय !!!!!
आपके आविर्भाव तिथि पूजा महामहोत्सव की जय !!!!!!
उस दिन श्रीअद्वैताचार्य जी ने अपने हाथों से सारा भोजन तैयार किया।
आपके हृदय में इच्छा थी की आप अकेले श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को अपनी इच्छा के अनुसार भोजन - प्रसाद खिलायें।
उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि मौसम खराब होने से, बहुत आँधी-तूफान आया। इस कारण से श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के साथ जो संन्यासी भोजन
करने आते, थे, उनमें से कोई भी नहीं आ पाया।
अकेले श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को आया देख, श्रीअद्वैताचार्य जी ने आनन्द से श्रीमहाप्रभु जी को बहुत प्रकार के व्यन्जन खिलाये।
चूँकि इन्द्र-देवता ने वर्षा इत्यादि करके श्रीअद्वैताचार्य जी की इच्छा पूरी होने दी, इसलिए श्रीअद्वैताचार्य ने श्रीकृष्ण के सेवक के रूप में उनका स्तव किया।


श्रीअद्वैताचार्य जी की जय !!!!!
आपके आविर्भाव तिथि पूजा महामहोत्सव की जय !!!!!!
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