गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

आशीर्वचन

हमें संसार की घटनाओं से हताश होकर अपना भजन नहीं छोड़ना चाहिए। संसार, भगवान श्रीकृष्ण की माया-शक्ति के कारण उत्पन्न विघ्न-बाधाओं व उपद्रवों का ही स्थान है। केवल पूर्ण-शरणागत जीव ही माया के चंगुल से छुटकारा प्राप्त कर सकता है तथा जन्म-मृत्यु व त्रितापों के भवसागर को पार हो सकता है। हमें 6 प्रकार की शरणागति का अभ्यास करना चाहिए जो कि भजनमय जीवन का आधार है। शरणागति के बिना भक्ति हो ही नहीं सकती।                                                                        

 हमें संसारिक हानि एवं लाभ से परेशान नहीं होना चाहिए। शाश्वत आत्मा के शाश्वत लाभों के प्रति हमें बहुत अधिक सतर्क रहना चाहिए। वे ही हमारे साथ जाएँगे। मंगलमय भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से जो कुछ भी होता है वह सबके नित्य मंगल के लिए ही होता है। - श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी।                                                                                                                                                                                                            

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