हमें संसार की घटनाओं से हताश होकर अपना भजन नहीं छोड़ना चाहिए। संसार, भगवान श्रीकृष्ण की माया-शक्ति के कारण उत्पन्न विघ्न-बाधाओं व उपद्रवों का ही स्थान है। केवल पूर्ण-शरणागत जीव ही माया के चंगुल से छुटकारा प्राप्त कर सकता है तथा जन्म-मृत्यु व त्रितापों के भवसागर को पार हो सकता है। हमें 6 प्रकार की शरणागति का अभ्यास करना चाहिए जो कि भजनमय जीवन का आधार है। शरणागति के बिना भक्ति हो ही नहीं सकती। गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013
आशीर्वचन
हमें संसार की घटनाओं से हताश होकर अपना भजन नहीं छोड़ना चाहिए। संसार, भगवान श्रीकृष्ण की माया-शक्ति के कारण उत्पन्न विघ्न-बाधाओं व उपद्रवों का ही स्थान है। केवल पूर्ण-शरणागत जीव ही माया के चंगुल से छुटकारा प्राप्त कर सकता है तथा जन्म-मृत्यु व त्रितापों के भवसागर को पार हो सकता है। हमें 6 प्रकार की शरणागति का अभ्यास करना चाहिए जो कि भजनमय जीवन का आधार है। शरणागति के बिना भक्ति हो ही नहीं सकती।
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Sril bhakti vallabh tirth goswami maharaj ki jai,
जवाब देंहटाएंSree sree radha govind ki jai